Tag Archives: kathopanishad verses in gita

The Gita: Srimad Bhagwadgita: श्रीमद्भगवद्गीता : Chapter 2:20

“सभी ग्रन्थ, गुरु और ज्ञानी बार-बार कहते हैं “यह शरीर तुम नहीं हो” | ज़रा इसे अपने जीवन में परखें तो सही। जिस दिन यह थोड़ा सा भी स्पष्ट हुआ कि यह शरीर मैं नहीं हूँ बस उसी क्षण अपनी आध्यात्म यात्रा का श्री गणेश हुआ समझो। उसके पहले जो करते हो सब तैयारी ही है और कुछ नहीं। ” – आचार्य अज्ञातदर्शन आनंद नाथ Continue reading

Posted in Gita by Master AD | Tagged , , , , , , , , , , | Leave a comment