Tag Archives: Gita by Master AD

The Gita: Srimad Bhagwadgita: श्रीमद्भगवद्गीता : Chapter 2:30

I, Acharya Agyaatadarshan Anand Nath sa-shaktikaayai bow down at the lotus feet of my first Guru, my revered father Pandit Shri Murli Dhar ji Mishr,  Vidya Guru Kaul Shiromani Shri Shivanand Nath ji, Yoga Guru Paramhamsa Shri Balendu Giri ji … Continue reading

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The Gita: Srimad Bhagwadgita: श्रीमद्भगवद्गीता : Chapter 2:29

“एक एक सीढ़ी चढ़ने का नाम है सांख्य।जहां मृत्यु एक सत्य है वहीँ जन्म भी है तो सत्य वास्तव में क्या है? कृष्ण अब दूसरी प्रकार से कहते हैं कि सभी उस अव्यक्त से प्रकट होते हैं और उसी में फिर से समा जाते हैं। तो क्या वह जो अव्यक्त है वह सत्य है? गीता हमें विचार करने के लिए प्रेरित करती है। तो विचार कीजिये और सत्य को ग्रहण करने का प्रयास कीजिये।”
– आचार्य अज्ञातदर्शन आनंद नाथ Continue reading

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The Gita: Srimad Bhagwadgita: श्रीमद्भगवद्गीता : Chapter 2:28

“एक एक सीढ़ी चढ़ने का नाम है सांख्य।जहां मृत्यु एक सत्य है वहीँ जन्म भी है तो सत्य वास्तव में क्या है? कृष्ण अब दूसरी प्रकार से कहते हैं कि सभी उस अव्यक्त से प्रकट होते हैं और उसी में फिर से समा जाते हैं। तो क्या वह जो अव्यक्त है वह सत्य है? गीता हमें विचार करने के लिए प्रेरित करती है। तो विचार कीजिये और सत्य को ग्रहण करने का प्रयास कीजिये।”
– आचार्य अज्ञातदर्शन आनंद नाथ Continue reading

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The Gita: Srimad Bhagwadgita: श्रीमद्भगवद्गीता : Chapter 2:27

“मृत्यु एक सत्य है वहीँ जन्म भी। कृष्ण कहते हैं “जो भी मृत्यु को प्राप्त होता है उसका दोबारा जन्म अवश्य होता है | कृष्ण बार-बार अर्जुन के भ्रम को दूर करने के लिए अलग-अलग प्रकार से समझा रहे हैं। कृष्ण अनंत के स्वामी हैं, अनंत ज्ञान स्वरुप हैं परन्तु समय कम है, युद्ध सामने है अन्यथा गीता तो अनन्त हो जाती। हरि अनंत हरि कथा अनंता।” – आचार्य अज्ञातदर्शन आनंद नाथ Continue reading

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The Gita: Srimad Bhagwadgita: श्रीमद्भगवद्गीता : Chapter 2:25-26

“जहां सत्य एक है वहीँ सत्य अनन्त भी है और उसको दर्शाने, उस को अपने अंतर में स्पष्ट देख लेने के मार्ग भी अनन्त हैं | कृष्ण बार-बार अर्जुन को एक ही सत्य तक पहुंचने के अलग-अलग रास्ते दिखा रहे हैं – समय कम है, युद्ध सामने है अन्यथा गीता तो अनन्त हो जाती। हरि अनंत हरि कथा अनंता।” – आचार्य अज्ञातदर्शन आनंद नाथ Continue reading

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