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शिव के पांच मुखों में तत्त्व शक्ति विज्ञान के सिद्धांत!

“जीवन और इसकी क्रियाएं शक्ति प्रधान हैं। परन्तु शक्ति के इस नृत्य का निर्लिप्त भोक्ता स्वयं शिव ही है, यही कारण है कि शक्ति को ‘शिव-नर्तकी’ भी कहा गया हैं। परन्तु शिव भी शक्ति के इस नृत्य में संचारी भाव से झूम-झूम कर भाग ले रहा है – यहाँ इस जगत में शक्ति शिव से अलग नहीं वरन शिव की पञ्च-दृष्टियों के रूप में हर जगह व्याप्त है। ” – माँ शक्ति देवप्रिया Continue reading

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